बाढ़: कारण, प्रभाव और शमन
बाढ़ के प्रकार:-
1. नदी बाढ़
2. तटीय बाढ़
3. तूफान वृद्धि
4.अंतर्देशीय / शहरी बाढ़
5. अचानक बाढ़
बाढ़ के कारण:-
बाढ़ आमतौर पर एक या एक से अधिक प्रतिकूल मौसम विज्ञान और भौतिक कारकों के कारण होती है। लेकिन हाल के समय में, अवांछित मानवीय गतिविधियाँ भी बाढ़ का कारण हैं। बाढ़ के प्रमुख कारण हैं:-
A. मौसम संबंधी कारक:-
• भारी वर्षा
•उष्णकटिबंधीय चक्रवात
• बादल फटना
•सुनामी और भूकंप आदि।
B.भौतिक कारक:-
•बड़े जलग्रहण क्षेत्र
•अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था आदि।
C.मानव कारक (मानवजनित कारक):-
•वनों की कटाई,
•गाद
•अवैज्ञानिक कृषि पद्धतियां
•दोषपूर्ण सिंचाई पद्धतियां
•बांधों का फटना
•त्वरित शहरीकरण
•बाढ़ के मैदान और नदी के तल पर बसना आदि।
बाढ़ के प्रभाव:-
बाढ़ मानव और पर्यावरण दोनों पर विनाशकारी प्रभाव डालती है। बाढ़ के कुछ प्रभाव हैं:-
1.पर्यावरणीय प्रभाव:-
प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो जाता है,
नदियों की गाद नदी में वापस खींचे जाने से बड़ी मात्रा में तलछट,
पशु आवास और जलीय जीवन नष्ट हो जाता है,
इसके सबसे बुरे प्रभावों के अलावा, बाढ़ भी फायदेमंद होती है क्योंकि कृषि पर उपजाऊ गाद जमा होती है जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बहाल करता है।
2.सामाजिक प्रभाव:-
आजीविका और जीवन का नुकसान,
बस्तियाँ नष्ट हो जाती हैं,
टाइफाइड, मलेरिया, हेपेटाइटिस आदि जैसी जल जनित बीमारी की महामारी,
स्कूल छोड़ना,
परिवारों का अलग होना
3.आर्थिक प्रभाव:-
सड़क, रेल, पुल और मानव बस्ती जैसे भौतिक बुनियादी ढांचे की क्षति ।
फसलों और मवेशियों की क्षति।
बिजली लाइनों, बांध या तेल संयंत्रों आदि को नुकसान।
भारत में बाढ़ आपदा:-
•राष्ट्रीय बाढ़ आयोग ने भारत में बाढ़ प्रवण के रूप में 40 मिलियन हेक्टेयर भूमि की पहचान की है।
•असम, पश्चिम बंगाल और बिहार भारत में उच्च बाढ़ प्रवण हैं। •उत्तरी राज्यों की नदियाँ कभी-कभार आने वाली बाढ़ की चपेट में आ जाती हैं।
•यूपी बिहार और आंध्र प्रदेश में बाढ़ के खतरे और आपदाएं मिलकर देश में बाढ़ के खतरे से हुए नुकसान का 62 फीसदी हिस्सा हैं।
• महानदी गोदावरी कृष्णा और कावेरी नदियों के डेल्टा क्षेत्र में लगभग हर साल बाढ़ आती है।
बाढ़ का शमन (mitigation) और रोकथाम(prevention):-
बाढ़ की रोकथाम में सॉफ्ट और हार्ड इंजीनियरिंग तकनीक शामिल हैं।
सॉफ्ट इंजीनियरिंग तकनीकों में बाढ़ को रोकने के प्राकृतिक तरीके शामिल हैं, उदाहरण के लिए वनीकरण जबकि हार्ड इंजीनियरिंग में मुख्य रूप से कृत्रिम अभ्यास शामिल हैं, उदाहरण के लिए बांध निर्माण।
हार्ड इंजीनियरिंग तकनीकें:-
•बांधों और जलाशयों का निर्माण,
•बाढ़ सुरक्षा तटबंधों का निर्माण,
•नदी मोड़ का निर्माण,
•नदी चैनल को सीधा करना,
•ऊंचे और चौड़े पुलों का निर्माण आदि।
2. सॉफ्ट इंजीनियरिंग तकनीक:-
•वनरोपण,
•बाढ़ संभावित क्षेत्रों को अलग करना,
•बाढ़ प्रूफिंग,
•बाढ़ प्रबंधन योजना,
•एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन आदि।
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